महाभारत अध्याय - 20

महाभारत अध्याय - 20 

इस अध्याय में हम पांडवों के लाक्षागृह से बच निकलने के बाद के समय के बारे में जानेंगे। जहाँ उन्हें और भी कठिनाईयों का सामना करना अभी बाकि था। पांडवों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा यह भी हम इसी अध्याय में पढ़ेंगे तथा इसी बिच भीम का विवाह भी हुआ था जिसके बारे में हम इस अध्याय में जानेंगे। 

भीम का विवाह 

भीम का विवाह
पांडव लाक्षागृह की आग से तो बच निकले थे परन्तु वह अपने मन में लगी आग को इतनी जल्दी भुजा नहीं सकते थे। पांडव जब भी यह सोचते की वह कौरवों को अपने हृदय में स्थान देंगे तभी कौरव कोई ऐसी चाल चल देते जिससे पांडवों का मन उनके प्रति मेला हो जाता था। पांडव हस्तिनापुर जाकर सबको सबक़ सीखना चाहते थे परन्तु युधिष्ठिर और कुंती ने उन्हें वापस जाने से मना कर दिया और वन में ही अब समय बिताने का आदेश दिया। पांडव अपने जेष्ट भ्राता और माँ का कहना मानने से मना नहीं कर सकते थे इसीलिए उन्होंने भी वन में रहने का फैसला कर लिया। हस्तिनापुर तक जब यह बात पहुंची तो भीष्म पितामह ने तो शोक के कारण अपने कक्ष में रहने का फैसला कर लिया। सभी बहुत शोक में थे क्योंकि उस रात जब पांडवों ने महल जलाया था तब वह वो पांच भाई और उनकी माता थी जिनका शव सैनिकों को मिला था। शकुनि, दुर्योधन, दुशासन, और कर्ण पांडवों की मृत्यु की खबर सुन और पितामह के शोक के कारण कक्ष में बंद हो जाने से बहुत खुश थे। बहुत समय के बात जब पितामह बाहार आए तो सबसे पहले वह गंगा नदी के किनारे पहुंचे और अपनी माता को याद किया उनकी माता ने  उनको आकर बता दिया की पांडव जिन्दा हैं और वह इस बारे में विदुर से पूछे। विदुर जब भीष्म पितामह के पास पहुंचे तो उन्होंने उनको सब सच बता दिया। भीष्म पितामह बहुत क्रोधित हो गए परन्तु विदुर ने उनको समझाया जिससे पांडवों के बचने के बारे में किसी को न पता चले। दूसरी ओर वन में पांडव हस्तिनापुर से दूर कही रहने का स्थान ढूंढ रहे थे। पांडव वन में चलते जा रहे थे जिस कारण कुंती, सहदेव और नकुल बहुत थक गए थे। तो भीम ने उन तीनो को ही अपने ऊपर बैठा लिया और आगे बड़े। कुछ दूर पहुंचकर वह अपनी माता के आदेश से रुक गए और विश्राम किया। रात के समय जब सब सो रहे थे उस समय भी भीम उन सबके समीप बैठ पहरा दे रहा था। पांडव इस बात से अनजान थे की वह जहाँ विश्राम कर रहे थे वहाँ एक हिडिंब नाम का राक्षस अपनी बहन हिडिंबा के साथ रहता था। जब हिडिंब को वन में मनुष्य के मास की सुगंध आयी तो उसने अपनी बहन से उन मनुषयों को लाने का आदेश दिया।  हिडिंबा को मनुष्य मास बिकुल पसंद नहीं था परन्तु उसे अपने भाई का कहा मानना पड़ा और वह उन्हें ढूंढने लगी। कुछ दूर पहुंचते ही उसने भीम को देखा जो बैठ कर पहरा दे रहा था। भीम को देखते ही हिडिंबा को भीम से प्रेम हो गया और उसने एक बहुत ही सुंदर स्त्री का भेष धारण कर भीम के पास जाने का सोचा। वह जैसे ही भीम के पास जाने वाली थी तभी वहाँ हिडिंब आ गया। हिडिंबा ने उसे जैसे ही बताया की वह भीम को अपना दिल दे बैठी हैं तभी हिडिंब ने उस पर हाथ उठाया। भीम ने जैसे ही यह देखा वह बहुत क्रोधित हो गया और हिडिंब को उससे मुकाबला करने की चुनौती देने लगा। इतने शोर के कारण सभी भाई और कुंती उठ गए। हिडिंब को देख वह घबरा गए। हिडिंब ने भीम की दी चुनौती को स्वीकार कर लिया और उससे युद्ध करने लगा। जैसे ही उसने अपनी राक्षसी शक्तियों का इस्तेमाल कर भीम को मरने की कोशिश की तभी हिडिंबा ने भीम की सहायता कर हिडिंब को हरा दिया और हिडिंब की का मृत्यु हो गई। जब हिडिंबा ने भीम को यह बताया की वह उसका ही भाई था तो वह अचंभित हो गए। हिडिंबा ने कुंती से उसे भीम के लिए स्वीकार करने का अनुरोध किया तो कुंती ने उसे अपनी बहु के रूप में स्वीकार कर लिया। हिडिंबा ने कुंती को यह वचन दिया की उनकी संतान होने के उपरांत वह भीम को वापस भेज देंगी। 
कुंती के आशीर्वाद से भीम और हिडिंबा का विवाह हो गया। 

बकासुर का वध 

बकासुर का वध

भीम के विवाह को हुए समय बीत गया था। भीम हिडिंबा के साथ वन में ही था जहाँ दूसरी ओर बाकि भाई और माता कुंती वन के पास ही एक घर में रहते थे। पांडव भिक्षा मांग कर अपना पेट भरते थे। भीम और 
हिडिंबा के पुत्र का जन्म हो गया था और उन्हें वहाँ रहते समय भी हो गया था इसीलिए उन्होंने अपने पुत्र को आशीर्वाद दिया और अपने भाईयों के पास लौट गए। भीम सबके पास वापस आ गए। पांडव जिस घर में रह रहे थे वह उनका घर नहीं था वह  किसी और के घर में साधु बन कर रहते थे। एक दिन गांव में बहुत हाहाकार मची थी जिसका कारण यह था की उस नगर के पास एक गुफ़ा में बकासुर नाम का एक राक्षस रहता था जो वहाँ के लोगो को बहुत परेशान करता था और उनको धमकी देकर सप्ताह में एक बार खाने के साथ मनुष्य की माँग करता था। जिसके कारण किसी न किसी घर से एक मनुष्य को अपने प्राण त्याग ने पड़ते थे। जिस घर में पांडव रहते थे आज उस घर की बारी थी वहाँ रहने वाले लोग यह सोच रहे थे की बकासुर के पास कौन जायेगा सभी डरे हुए थे। कुंती ने उनकी बातें सुन ली और उनसे अपने पुत्र भीम को भेजने के लिए कहा। अगले दिन खाने का चखरा ले कर भीम गुफा के बहार पहुंच गया। भीम वहाँ तक पहुंचने के बाद बहुत थक गया था इसीलिए उसने भोजन खोला और खाने लगा। भीम खाना खा ही रहा था की इतने में बकासुर गुफा से बाहार आ गया और भीम को खाना खाते देख बहुत क्रोधित हो गया। उसने भीम के ऊपर प्रहार करने की जैसे ही कोशिश की भीम ने उसे उठा कर फेक दिया। उनके बिच बहुत घमासान युद्ध हुआ और बकासुर मारा गया। भीम वापस लौट गया उसे देख सब बहुत खुश हुए और नगर के लोग जब भीम को धन्यवाद और उस परिवार जिसमें पांडव रह रहे थे उनका सम्मान करने आये तो पांडव कुंती सहित वहाँ से चले गए क्योंकि यदि वह वहाँ रुकते तो पहचान लिए जाते। पांडव वन की ओर वापस निकल गए। 

निष्कर्ष: भीम की ऐसी कुशलता से हमे यह सिख मिलती हैं की हमे हमेशा अपने आप पर भरोसा रखना चाहिए और हर समस्या का डट के सामना करना चाहिए!

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