महाभारत अध्याय - 13
इस अध्याय में हम श्री कृष्ण के द्वारा मथुरा पहुँचने के पश्चात् किये गए चमत्कारों के बारे में पढ़ेंगे। साथ ही कंस का वध किस प्रकार हुआ और कंस के पिता को अपना राज पाठ किस प्रकार प्राप्त हुआ यह भी जानेंगे। कृष्ण ने अपने माता पिता को भी कंस की कैद से कैसे निकला यह भी हम इसी अध्याय में जानेंगे।
कंस का वध
श्री कृष्ण के एक उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठाने की सूचना गोकुल से मथुरा तक पहुँच गई थी जब कंस को इस बारे में पता चला की वह बालक नंदराय और यशोदा का ही पुत्र हैं तो कंस समझ गया कि पूतना उसे मारने में असफल रही। उसने कृष्ण को मथुरा बुलाने का फैसला कर लिया और निमंत्रण भेजने के लिए अक्रूर (जो वासुदेव का मित्र और देवकी के भाई समान था) को बुलाया और पश्चताप का ढोंग करने लगा वह चहता था की अक्रूर देवकी और वसुदेव के पुत्र को मथुरा ले आए और कंस उसे मार दे। अक्रूर कंस की बातों में आ गया और गोकुल की और निकल गया। अक्रूर जब गोकुल पहुँचा और नंदराय को इस बारे में बताया तो नंदराय और यशोदा बहुत परेशान हो गए और कृष्ण को मथुरा भेजने से इंकार कर दिया। श्री कृष्ण यह सुन कर बहुत प्रसन्न हो गए और मथुरा जाने की हठ करने लगे क्योंकि वह जानते थे की अब समय आ गया हैं उस कार्य को करने का जिसके लिए उन्होंने जन्म लिया हैं। माँ के मना करने पर भी कृष्ण ने हठ नही छोड़ी और मथुरा जाने का फैसला कर लिया। नंदराय और यशोदा ने कृष्ण की इस हठ को मान लिया और उसे जाने की आज्ञा दे दी वह भी जानते थे की कृष्ण को कोई रोक नहीं सकता। अब मथुरा जाने का समय हो गया था पूरा गोकुल कृष्ण से मिलने हुए आशीर्वाद देने आया था। वह मथुरा के लिए निकल गए। कृष्ण के साथ उनके मित्र और भाई बलराम भी मथुरा गए। मथुरा पहुँच कर कृष्ण ने अक्रूर से मथुरा नगरी घूमाने के लिए कहा तो अक्रूर ने उन्हें जाने की आज्ञा दे दी। मथुरा में भ्रमण करते समय उन्हें एक कुबड़ी लड़की दिखी उन्होंने जैसे ही उसकी पीठ पर हाथ रखा वह सीधी हो गई और ठीक हो जाने पर बहुत प्रसन्न हो गई। यह ही नहीं कृष्ण ने नदी किनारे जाकर भी वह पर काम कर रही लोग को अपने चमत्कारों से और शिव मंदिर जा कर वहाँ रखे हुए धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर सभी को अचंभा कर दिया धनुष की गूंज पूरे मथुरा में फेल गई। यही गूंज कंस को भी सुनाई दी जिसे सुन वह बहुत ही हैरान हो गया। अगले दिन कंस ने कृष्ण को हत्या करने के लिए बहुत से पहलवानों को आमंत्रित किया और बुलाकर कृष्ण को मारने की योजना बनाई। कृष्ण जैसे ही वहाँ पहुँचा उसने सारे पहलवानों को हरा दिया और जीत हासिल कर ली। यह देख कंस बहुत ही अचंभित हो गया और फिर से ढोंग कर कृष्ण को गले लगाने के लिए कहने लगा। कृष्ण के गले लगाते ही उसने श्री कृष्ण को दबोच लिया परंतु श्री कृष्ण गायब हो गए ऐसी ही दो से तीन बार हुआ जिसे देख कंस क्रोधित हो गया और उसने तलवार निकाल ली। ऐसी ही अंत में कृष्ण की जीत हुई और कंस का विनाश हो गया।
कृष्ण ने कंस का वध करते ही अपने माता पिता और कंस के पिता को कारागार से निकाला और उन्हें अपना परिचय दिया। कृष्ण को देख वासुदेव और देवकी बहुत खुश हो गए। कृष्ण ने कंस के पिता का राज्य और राज मुकुट जो कंस ने जबरदस्ती छीन लिया था आदर के साथ उन्हें सौंपा और नंदराय और कृष्ण के मित्र वापस लौट गए परंतु कृष्ण और बलराम मथुरा में देवकी और वसुदेव के साथ ही रहने लगा।
निष्कर्ष: कंस को लगता था की एक छोटे सा बालक उसका की बिगड़ लेगा इसलिए वह इस तरह मारा गया।
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